विविधा - 27

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27-मानव हाथों से बने देवी-देवता सफेद और काले हल्के पीले और गुलाबी, रंगीन और सादे, पारदर्शी या इन्द्रधनुषी, अनगिनत रंगों में कलात्मक मूर्तियां पत्थरों की। जयपुर मूर्ति उद्योग विश्व-विख्यात हैं। हजारों लाखों की संख्या में ये मूर्तियां प्रतिवर्ष देश विदेश के हजारों मंदिरों में प्रतिष्ठित होकर श्रद्धा से पूजी जाती है। इनकी अर्चना की जाती है। मन्नतें मानी जाती है।  मूर्ति बनाने के आरंभ से ही मनुष्य के मुख्यतः दो उद्देश्य रहे है। एक तो किसी स्मृति को या अतीत को जीवित बनाये रखना, दूसरे अमूर्त को मूर्त रूप देकर व्यक्त कर अपना भाव प्रकट करना। यदि पूरे संसार की