18-फाग का अमर कवि : ईसुरी ळोली का मौसम हो। फाग गाने का मन हो और बुन्देलखण्ड के कवि ईसुरी की याद न आये, यह कैसे संभव है ? जनकवि और बुन्देलखण्ड के ‘कबीर’ ईसुरी के फागों से पूरा, बुन्देलखण्ड आधीरात को खिलने वाले बेले की तरह अनुप्रेरित है। ईसुरी का पूरा नाम ईश्वरी प्रसाद था। उनका जन्म 1841 में झांसी जिले के मउरानीपुर के पास के मेढ़की गांव में हुआ। वास्तव में ईसुरी मस्तमौला और रसिक मिजाज के आदमी थे। पढ़े कम गुने ज्यादा यह वह समय था जब प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की तैयारियां जोरों पर थीं तथा उन्मुक्त