विविधा - 17

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17 - हास्य व्यंग्य का बोलवाला   आज की स्थिति भिन्न है। हास्य व्यंग्य की सतही रचनाओं के कारण कवि सम्मेलनों की गिरावट हुई है। कवि सम्मेलनों के विकास काल में हास्य व्यंग्यकार मर्यादा का ध्यान रखते थे, इसी काल में पदमश्री गोपाल प्रसाद व्यास और पद्मश्री काका मंच पर अवतरित होकर जम गये और आज तक जमे हुए हैं। लेकिन सन् 60 के बाद वाले दौर में इन हास्य कलाकारों की ऐसी बाढ़ा आई कि सारी मर्यादाएं, सीमाएं,बह गई, रह गई केवल हास्यस्पद रस की चाहें। उन दिनों अश्लील और भेदस रचनाओं को पढ़ना मुश्किल होता था, लेकिन कवि सम्मेलनों