विविधा - 14

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14-साहित्य की संवेदना  साहित्य में जब जब भारतीता की बात उठती है तो यह कहा जाता है कि साहित्य में भारतीयता तलाशना साहित्य को एक संकुचित दायरे में कैद करना है, मगर क्या स्वयं की खोज कभी संकीर्ण हो सकती है ? वास्तव में संकीर्णता की बात करना ही संकीर्ण मनोवृत्ति है। सच पूछा जाए तो ‘को अहम्’ अर्थात अपने निज की तलाश ही भारतीयता है और जब यह साहित्य के साथ मिल जाती है तो एक सम्पूर्णता पा जाती है। पश्चिमी साहित्य से आक्रांत होकर जीने के बजाए हमें अपने साहित्य, अपनी संस्कृति से उर्जा ग्रहण करनी चाहिए। वैसे