12-ये आकाशवाणी है इक्कीसवीं शताब्दी मंे आकाशवाणी को शब्द हत्या के लिये याद किया जायेगा। शब्द की मृत्यु इस युग की सबसे बड़ी टेजेड़ी है और इस टेजेड़ी में आकाशवाणी ने अपना पूरा योगदान किया है। अपने प्रसारण, कार्यक्रमों तथा विराट जन समूह, तक पहुंचने की क्षमता के कारण आकाशवाणी शब्द के वर्चस्व को स्थापित कर सकती थी और कुछ वर्शों तक आकाशवाणी ने ऐसा किया भी मगर माध्यम के सरकारीकरण, लालफीताशाही और खोखले नारों के जाल में फंसकर आकाश्वाणी बेईमानी और बकवासों का ऐसा पुलिन्दा बन गई कि न निगलते बने और न ही उगलते। रेडियो हमारे जीवन की