6-नाटक दर्शक की जिंदगी की लड़ाई है ! -मुद्राराक्षस मुद्राराक्षस हमेशा से ही विवादास्पद और चर्चित रहे हैं। क्षेत्र चाहे नाटकों का हो या अन्य कोई, वे हमेशा बहस में कूद पड़ते हैं धारा को अपनी ओर मोड़ लेने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने संसद का चुनाव भी लड़ा है लगभग 10 नाटकों व 20 अन्य पुस्तकें वे लिख चुके हैं। उनके साथ हुई बातचीत यहां पेश है। मुद्राराक्षस नाम कैसे पड़ा ? मेरा पहले का नाम तो सुभाशचन्द्र ही था। मद्राराक्षस उपनाम शायद 1953 के आसपास डॉ. देवराज के कारण चल पड़ा। उन दिनों में वे ‘युग-चेतना’ निकालते थे।