" रजनी के घर के लोग सारे फिर से मूह फूला के बैठ गई और रजनी को बोला... तुम कभी नही सुधर सकते "" रजनी हस्ते हस्ते बहार जाने के लिये निकल गई. और वहा से कुनाल भी अपने कुच काम के खातिर बहार जाने के लिये रेडी हो गए "( कुच देर बाद )" अब तक सब सही से चल रहा था. लेकिन बिच मे मुश्किले आती हुए नज़र आने लगी है. लेकिन इस मुसीबत के बारे मे किसीको कुच नही पता. नाही कुनाल को और नाही रजनी को. अब वो तो अपनी अपनी जगह पे जाने के लिये