अध्याय 22 सरोजिनी का शरीर सुबह उठी तब एक नया खून आया जैसे उत्साहित था। मन के अंदर नहीं समा पा रहीं ऐसी एक खुशी मुंह और होठों पर चमक रही थी। उसने अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाकर अंगड़ाई ली। उसकी दोनों आंखें अभी तक एक खुशी में डूबी हुई थी। "क्या हो गया तुम्हें?" ऐसा अपने आप से ही उसने पूछा। "बहुत बड़ी बात हो गई" अपने आपको जवाब दिया। पिछली रात की यादें गुलाब जल की वर्षा में भीगे है जैसे उसे याद आने लगी। एकदम से लाखों-लाखों फूल खिले। उसकी खुशबू से उसका जी