अध्याय 2 अरुणा की नज़र में एक आधारहीन बच्ची का वात्सल्य दिखाई दिया । 'ओह मेरे लिए यह बच्ची दुखी हुई' ऐसी बात सोच कर सरोजा को थोड़ा संकोच हुआ। "एक दिन आप अपनी कहानी को मुझे आदि से अंत तक बताना दादी!" सरोजिनी हंसी। "मेरी कहानी में क्या दिलचस्पी है? तुम बोली जैसे दूसरों को परेशान ना करके, मुंह से बात ना कहना ही तो मेरे जीवन की कहानी है?" अरुणा ने सरोजिनी के कंधे को प्रेम से दबाया। "दूसरों को पता न होने वाली आपकी कहानी होगी। उस कहानी को आपने अपने अंदर जब्त किया हुआ है!" सरोजिनी