16 कथा पागलदास की! “अच्छा...! दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर आए, फिर क्या किया?...क्या खाने वगैरह के लिए, गुजारा करने लायक पैसे थे तुम्हारे पास?” गोलू ने उत्सुकता से पूछा। उसकी निगाहें बराबर रंजीत के चेहरे पर जमी हुई थीं। “कुछ अजब ही मामला हुआ मेरे साथ तो।” रंजीत बोला। और फिर उसने अपनी पूरी कहानी सुनाई : “पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरा था बिना टिकट। भीड़ के रेले के साथ बाहर आ गया। सोच रहा था कि किधर जाऊँ? इतने में देखा, एक जगह पर खासी भीड़ लगी हुई है। मैं भी चलकर वहीं खड़ा हो गया। देखा,