7 कहाँ जाओगे बेटा? साथ वाली सीट पर एक परिवार था। खुशमिजाज से दिखते पति-पत्नी। सात-आठ बरस का एक छोटा बेटा। एक छोटी सी चंचल बेटी, कोई तीन-साढ़े तीन बरस की। दोनों बच्चे खूब मगन मन बातें करते जा रहे थे। कभी-कभी आपस में झगड़ भी पड़ते, फिर खिल-खिल हँस पड़ते। उनके मम्मी-पापा भी उनकीह बातें सुन-सुनकर खुश हो रहे थे। खुश तो गोलू भी बहुत हो रहा था, पर अंदर एक टीस, एक दर्द की लकीर सी उठती। उसे अपने मम्मी-पापा की बहुत-बहुत याद आ रही थी। बार-बार एक भय उसे सिहरा देता—पता नहीं, अब मम्मी-पापा से फिर कभी