2 देखिए, मैं तो यहीं हूँ! गोलू क्यों भागा घर से?...गोलू घर से क्यों भागा? एक यही सवाल है जो मुझे इन दिनों लगातार तंग कर रहा है—रात-दिन, दिन-रात! ‘गोलू, गोलू, गोलू...।’ मैं गोलू की यादों के चक्कर से बच क्यों नहीं पा रहा हूँ? अचानक जब-तब उसका भोला-सा प्यारा चेहरा आँख के आगे आकर ठहर जाता है जैसे कह रहा हो कि ‘मन्नू अंकल, मैं तो कहीं गया ही नहीं। मैं तो यहीं हूँ। देखिए, ऐन आपकी आँख के आगे...!’ और मैं हाथ बढ़ाकर जैसे ही छूने की कोशिश करता हूँ कि गायब, एकदम गायब...उसी तरह हँसते-हँसते। चारों तरफ