बाते अधूरी सी... - भाग १

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मई का महीना था, रात काफी हो चुकी थी यही कोई लगभग रात के साढ़े ग्यारह बजे होंगे, सिद्धार्थ सड़क पर चला जा रहा था, तभी उसे कही से डॉगी के भौंकने की आवाज सुनाई दी, आवाज सुनते ही उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल के साथ आंखो से आंसू छलक पड़े.उसे अपनी सुनिधि की याद आ गई, जब भी वो दोनो फ्री हो कर घूमने जाते थे ना और कही से सुनिधि को डॉगी दिख जाता था, तो वह डर के मारे जोरो से सिद्धार्थ का हाथ पकड़ लेती थी, सुनिधि को डॉगी से बहुत डर लगता था.सिद्धार्थ और