कोट - १९

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कोट-१९मैं २०१७ में नैनीताल आया था। और झील के चिंताजनक कम जल स्तर को देखकर लिख बैठा था-झील की जुबानी एक कहानी:"प्रिय, मैं तुम्हारी याद में सूखे जा रही हूँ।कहते हैं कभी सती माँ की आँखें यहाँ गिरी थीं।नैना देवी का मंदिर इसका साक्षी है। कभी मैं भरी पूरी रहती थी।तुम नाव में कभी अकेले कभी अपने साथियों के साथ नौकायन करते थे।नाव में बैठकर जब तुम मेरे जल को छूते थे तो मैं आनन्द में सिहर उठती थी।मछलियां मेरे सुख और आनन्द की सहभागी होती थीं।बत्तखों का झुंड सबको आकर्षित करता था। "वक्त" फिल्म का गाना" दिन हैं बहार