62--त्रिया चरित्रश्वसुर दिन भर बड़बड़ाता रहता और खांस खांस कर कमरे को गंदा करता रहता।जिसे राधा को साफ करना पड़ता।पति दूसरे शहर मे नौकरी करता था।वह शनिवार को रात को आता और सोमवार की सुबह चला जाता।पति के बाहर रहने पर राधा घूमना फिरना और मस्ती करना चाहती थी।लेकिन श्वसुर से पूछे बिना न वह कहीं जा सकती थी।न ही किसी को अपने घर बुला सकती थी।खूसट श्वसुर के घर मे रहने पर बन्धन था।उसकी आजादी में खलल पड़ता था।वह श्वसुर के बंधन से मुक्त होना चाहती थी।लेकिन वह यह भी जानती थी कि पति पिता से अलग होने के