मास्टर रामकिशुन की कही एक एक बात गोपाल के कानों में गूँज रही थी, अनवरत , लगातार। 'इन मजबूत धागों के बंधन से निजात पाना इतना भी आसान नहीं है बेटा !' ये वाक्य जैसे बम की मानिंद उसके दिमाग में फट रहे थे। उसे अपना दिल बैठता हुआ सा महसूस हो रहा था। कितनी उम्मीद बंधी थी उसे मास्टर रामकिशुन के बारे में जानकर कि वह एक पढेलिखे और सुलझे हुए प्रगतिशील विचारों वाले इंसान थे। बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं समझते तो फिर बेटी की इच्छा का अवश्य सम्मान करेंगे। दकियानूसी विचारों के खिलाफ समाज से