30 और चिड़ियों ने जी भरकर खाया एक बार की बात, राजा कृष्णदेव राय के दरबार में ज्यादा काम नहीं था। फुर्सत के क्षणों में राजा कृष्णदेव राय दरबारियों से गपशप कर रहे थे। दरबारी भी बीच-बीच में किसी बहाने से अपनी काबलियत और स्वामिभक्ति का बखान कर रहे थे। कुछ ने चाटुकारिता भी शुरू कर दी थी, पर तेनालीराम चुप बैठा था। उसे भला अपने बारे में कहने की क्या जरूरत थी? मंत्री तथा कुछ और दरबारियों ने तेनालीराम की ओर देखकर छींटाकशी की कोशिश की। पर तेनालीराम तब भी कुछ नहीं बोला। वहीं बैठा चुप-चुप मुसकराता रहा। इस