इतिहास का वह सबसे महान विदूषक - 24

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24 चिक-चिक बोले काठ की चिड़िया विजयनगर में हर साल राजा कृष्णदेव राय का जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाया जाता था। इस बार भी राजा का जन्मदिन आया, तो हर तरफ चहल-पहल थी। जगह-जगह सुंदर बंदनवार लगाए गए। घरों, गलियों और बाजारों में केले के पत्तों, रंग-बिरंगी झंडियों और दीपमालाओं से सजावट की गई। राजधानी में जगह-जगह फूलों के द्वार बनाए गए, जिन पर फूलों की पंखुड़ियों से ही राजा का प्रशस्तिगान करते हुए, शुभकामनाएँ दी गई थीं। बीच में बड़े-बड़े सुनहरे अक्षरों में लिखा था, “विजयनगर को स्वर्ग के समान सुंदर और खुशहाल बनाने वाले, राजाओं के राजा कृष्णदेव