22 इत्रफरोशों की पहचान तो तुम्हीं को है! राजा कृष्णदेव राय वीर योद्धा थे, प्रजावत्सल थे, राजनय और कूटनीति के मर्मज्ञ भी। पर इसके साथ ही वह सौंदर्य-प्रेमी भी थे। उन्हें अच्छे और रुचिकर परिधान पहनने का शौक था। देश-देश के सुंदर वस्त्रों और कलात्मक आभूषणों की उन्हें बहुत अच्छी परख थी, तो साथ ही साथ वे इत्र-फुलेल के भी शौकीन थे। वे दूर से ही सूँघकर बता देते थे कि यह इत्र कहाँ का बना हुआ है और कितना कीमती है। अजमेर के इत्र के तो वे बहुत प्रशंसक थे। अगर राज्य का कोई सभासद या व्यापारी उस दिशा