इतिहास का वह सबसे महान विदूषक - 18

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18 होलिका दरबार हास्य नाट्यम राजा कृष्णदेव राय हर साल होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते थे। और यह उत्सव एक दिन नहीं, कई दिन चलता था। इस अवसर पर गाने-बजाने और नृत्यों के साथ हास्य रस के भी एक से एक मजेदार कार्यक्रम होते थे। हास्यगीत, गीतिकाओं और मनोरंजक नाटकों का जोर रहता था। गाँव वाले रास-रंग से भरपूर लोकनृत्य पेश करते तो समा बँध जाता। उधर पहलवानों के अखाड़ों की धूम अलग। नट, बाजीगर और तमाशे वाले भी कोई न कोई नया रंग, नया करतब लेकर आते। पूरे विजयनगर में आनंद और उल्लास का वातावरण छा जाता