अंधेरा कोना - 2 - अनजान मुसाफिर

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मैं लाला भाई की बात सुन रहा था, मुझे यह स्पष्ट हो गया कि यह मेरा एक अजनबी के साथ डरावना अनुभव था, जिससे मैं मिला था। मैं पैसे देकर गैरेज वाले हरमीत सिंह के पास गया, जो पिछले तीन दिनों से बंद था यह आज खुला। उसके पास जाकर मैंने उसे बताया कि मुझे कैसा अनुभव हुआ। मेरी बात सुनकर वह भी हतप्रभ रह गया। मैं और हरमीत बाते कर रहे थे तब वहा एक तीसरा व्यक्ति भी मौजूद था और वह राजकुमार उर्फ राज था, वह हमारे कॉलेज के बायो केमिस्ट्री का छात्र था, वह बहुत घमंडी था,