बाक़ी सफ़ा 5 पर- रूप सिंह - सुभाष नीरव (अनुवाद)

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कई बार राजनीति में अपने लाभ..वर्चस्व इत्यादि को स्थापित करने के उद्देश्य से अपने पिट्ठू के रूप में आलाकमान अथवा अन्य राजनैतिक पार्टियों द्वारा ऐसे मोहरों को फिट कर दिया जाता है जो वक्त/बेवक्त के हिसाब से उन्हीं की गाएँ..उन्हीं की बजाएँ। मगर ऐसे ही लोग दरअसल वरद हस्त पा लेने के बाद अपनी बढ़ती महत्ता को हज़म नहीं कर पाते और मौका मिलते ही अपने आलाकमान को आँखें दिखा..रंग बदलने से भी नहीं चूकते। आँख की किरकिरी या नासूर बन चुके ऐसे लोगों को सीधा करने..उन्हें उनकी औकात दिखाने.. निबटने अथवा छुटकारा पाने के लिए बहुत से मशक्कत भरे