श्रापित रंगमहल-भाग(२)

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श्रेयांश ने राजमहल के बारें में सुनी बातों पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए अपनी चित्रकारी पर ध्यान देना ज्यादा उचित समझा इसलिए वो पुराने महल को बहुत ध्यान से देखने लगा,तभी शम्भू काका बोले..... मेरे एक दोस्त का पास ही खेत है वो वहीं पर होगा मैं जरा उससे मिल आऊँ,अगर आप भी चलना चाहें तो चल सकते हैं....शम्भू काका की बात सुनकर श्रेयांश बोला.....शम्भू काका ! आप ही चले जाओ,मैं जब तक महल की बारिकियों को देख लेता हूँ,चित्र में कोई भी कमी नहीं होनी चाहिए...ठीक है चित्रकार बाबू ! तो आप यहीं ठहरें,मैं होकर आता हूँ लेकिन