सभी चौक में बैठे बैठे बात कर रहे थे, एकाएक दो औरतें आकर नाचने लगी, पांव उछाल उछाल कर कमर मटका रही थी । सब उन्हें देखने, घर के आंगन में इकट्ठे हो गये, दरवाजे पर, ओर दो महिलाएं ढोलक मंजीरे लिए थी , तभी अंदर से केतकी व उसकी सास भी बाहर आंगन में आ गयी । केतकी की सास ने अपना दाहिना हाथ.. उपर कर ..उन्हें रूकने को कहा । लेकिन वे महिलाएं अब.. केतकी की सास के चारों ओर घूम घूमकर नाचने लगी .. महिलाएं कस्तुरी (केतकी की सास) को बधाई दिये जा रही थी । कस्तुरी