राज-सिंहासन--भाग(२)

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महाराज सोनभद्र महारानी विजयलक्ष्मी के समीप गए और बोले___ महारानी!आप ही बताएं कि मैं क्या करूं? इतने वर्षों की प्रतीक्षा के उपरांत हमारे यहां ये शुभ घड़ी आई हैं और मैं इतना असहाय हूं कि अपनी सन्तान का मुंह भी नहीं देख सकता।। महाराज!इसी विषय पर बात करने के लिए ही मैंने आपको बुलवाया है, महारानी विजयलक्ष्मी बोलीं।। अब इसमें विचार करने योग्य कुछ भी नहीं रह गया है महारानी! क्योकि इस समस्या का एक ही समाधान है कि मैं ग्यारह वर्षों तक राजकुमार का मुंख ना देखूं, महाराज सोनभद्र बोले।। किन्तु महाराज! ये कैसे सम्भव होगा? कैसे आप अपने