अय्याश--भाग(३२)

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सत्यकाम संगिनी की माँग भरकर सबसे बोला..... आज ये मेरी धर्मपत्नी हैं और आज से इनकी हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी मेरी है अगर इस पर किसी को कुछ कहना है तो कह सकता है।। सत्या की बात सुनकर फिर वहाँ मौजूद महिलाएं और पुरुष कुछ भी ना बोले,फिर सत्या ने संगिनी का हाथ पकड़ा और अपने कमरें में ले गया,संगिनी भी डरी सहमी सी चुपचाप सत्या के साथ चली आई,तब सत्या संगिनी से बोला.... मुझे माँफ कर दीजिए,मैं ये सब नहीं करना चाहता था लेकिन ना चाहते हुए भी मुझसे ये हो गया।। आपने तो मेरा उद्घार किया है,संगिनी पलकें नींचे