संतुलन - भाग ७  

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राधा अपने माता पिता से विदा होकर ससुराल आने लगी। जब वह अपनी माँ के गले लगी तब मीरा ने कहा, "राधा बेटा यह रिश्ते बड़े ही नाज़ुक होते हैं। हमारी वज़ह से तुम्हारे जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। हमसे ज़्यादा तुम आकाश के माता-पिता का ध्यान रखना। अब वह घर ही तुम्हारा असली घर है।" "माँ प्लीज़ ऐसा मत कहो मेरे लिए तो दोनों ही घर असली घर हैं। मैं जितना ख़्याल आप लोगों का रखूँगी, उतना ही उनका भी रखूँगी, मैं संतुलन बनाकर रखूँगी माँ आप चिंता मत करो," कहते हुए राधा रो पड़ी। मीरा