अल्हड़ लड़की गीता (भाग-4)गीता के घर जाने की खुशी मे धरम के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे । कब घर आ गया पता ही नहीं चला । पर अभी चार ही बजे थे । यहां से गीता के घर जाने मे पन्द्रह मिनट ही तो लगने थे । घर मे मन नहीं लग रहा था । कुछ पढ़ने की कोशिश की पर ध्यान नहीं लगा । खुशी ने दिल तो क्या शरीर मे भी बेचैनी भर दी थी । सोचता रहा कि क्या करूँ । दिल उछलने कूदने को कर रहा था । तभी उसे याद आया कि