बचपन की बहुत प्रचलित कहानी थी, एक था राजा एक थी रानी, दोनों मर गए ख़त्म कहानी. ऐसे कई राजाओं की कहानी नानी-दादी से सुनी थी, लेकिन ये सच्ची कहानी है मेरे अपने पापा श्री सच्चिदानंद तिवारी की, जो सचमुच बड़े प्रोग्रेसिव थे. उनके कर्म और विचार साथ-साथ चलते थे. उस ज़माने में लड़कियों की पढ़ाई और अंतरजातीय विवाह और कभी जब अंतरधर्म विवाह की बात आती तो वो कहते,“सबका ईश्वर एक है, उस तक जाने के रास्ते अलग-अलग हैं. अगर हिंदू को काटोगे तो ख़ून निकलेगा और मुसलमान को भी काटोगे तो ख़ून ही. शुक्र मनाओ उसने लड़के से