स्वेटर के फंदे

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कहानीस्वेटर के फंदेसूरज अस्ताचल की ओर बढ़ते हुए अपनी लालीमा के निशान नीलगगन पर छोड़ रहा था। ऐसा लग रहा था मानो किसी सुहागिन के हाथ से सिंदूर की भर्ती हुई डिबिया छूट गई हो। पंछियों के झुंड घरों को लौटने लगे थे। कतारबद्ध उङ़ते हुए पंछी समाज को एकजुटता, भाईचारे और शांति पूर्ण सह अस्तित्व का संदेश दे रहे थे पर इन सबसे अनभिज्ञ समाज अॉफिस, दूकानों, स्कूलों में अभी भी बेपरवाही से अपने अपने कार्य में पूरी तरह व्यस्त थे। उनको न कुछ सीखना था न सीखाना.....जीवन की आपाधापी, पैसों का गणित, सबसे आगे निकल जाने की चाहत