मैं नारी हूँ , अपराजिता हूँ l न झुकुंगी, न रुकूंगी, न रोउंगी, न डरूँगी l हौसलों के साथ आगे कदम बढाउंगी l कोई जंजीरें मेरे पाँव बाँध नहीं सकतीं l कोई तूफ़ाँ, कोई आँधी मुझे नहीं रोक सकती l न थकुंगी न हार मानूंगी, लक्सय पाऊँगी l रण में रणचंडी, घर में बच्चों की माँ बनुँगी ll हाँ मैं नारी हूँ, अपराजिता ही बनी रहूँगी ll १७-५-२०२२ ******************************* धूप में पेड़ की छाया में रुकना है l आज सूर्य के ताप को भूलना है ll क़ायनात मे किसी से डरना नहीं l सिर्फ़ ख़ुदा के