शायरी

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*************************************************खुदा तेरी रहमतो के किस्से केसे बयां करु।बेहिसाब दिया तुने,इसका क्या हिसाब करु।किसी की नजर से मुझको क्या वास्ता ऐ खुदा।बस तेरी नज़र में रहूं,ये अरज बार बार करु।**************************************************जिंदगी जख्म देती नहीं,हम ले लेते है।खुशियों के दामन को हम ही छोड़ देते है।गमों में ही अपने आप से रूबरू होते है।जब हर कोई हमारा साथ छोड़ देते है।.*************************************************रहमत तेरी ए खुदा की हम जी रहे है।मरहम तू बना हैं इसलिए सब सह रहे है।वरना यहां कहा कोई कसर छोड़ता है डुबाने में।पतवार है तेरे हाथोमें इसलिए अभी तेर रहे है।*************************************************** कयामत तक साथ देने वाले,आगे मोड़ पर ही साथ छोड़