समय दानआर 0 के0 लाल कितना खुश रहा करते थे शिवानंद। पचपन साल की उम्र होने तक उनके पास सभी तरह की सुख सुविधाये थी। धन दौलत, सुयोग्य संतान, अच्छी नौकरी के सहारे श्रेष्ठ गृहस्थ जीवन था उनका। साथ ही ईश्वर की कृपा से आरोग्यता का सुख भी उन पर बरस रहा था। उनका मानना था कि प्रकृति से सामंजस्य बिठाने से मनुष्य के जीवन में पूर्ण सुख की स्थिति अवश्य प्राप्त हो सकती है। अपने हृष्ट- पुष्ट गठीले शरीर को बहुत मेहनत से उन्होंने बनाया था जिसकी सभी प्रशंसा करते थे। उनका चेहरा हमेशा चमकता रहता। वे कभी शराब,