हीरोइन - 15

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नई सदी में फ़िल्म कलाकारों की मानसिकता में एक बड़ा बदलाव ये आया कि कलाकार अपनी भूमिका और उसमें उनके अभिनय के असर पर ज़्यादा ध्यान देने लगे। उनके लिए ये महत्वपूर्ण न रहा कि रोल हीरोइन का है, खलनायिका का है, कॉमेडी है,या सपोर्टिंग है। एक साथ ही नायिका और सह नायिका,या खलनायिका का काम करने में भी उन्हें ऐतराज़ न रहा। शरत चन्द्र के उपन्यास "परिणीता" के फिल्मांकन से हिंदी फ़िल्मों में कदम रखने वाली विद्या बालन इससे पहले दक्षिण की फ़िल्में करने के साथ बांग्ला में भी काम कर चुकी थीं। उन्हें लोगों ने हम पांच, लगे