शाम का वक्त था | और पुरे मौहल्ले की लाईट कटी हुई थी | मौहल्ले के सभी लोग अपने घर के बाहर बैठे हुए थे | ठंडी ठंडी हवा चल रही थी | बच्चे लोग रोड में खेल रहे थे | मै एक कोनें में बैठे हुए उस पल का आनंद ले रहा था | मै बाहर काफि देर तक बैठा रहा | पर लाईट आने का नाम ही नही ले रहा था | मेरे आँखो में काफि निंद भी थी | मै वहीं बैठे बैठे सो रहा था | पर चाह के भी नही सोना चाहता था | लाईट