’’पुत्तू को लौटाना पड़ेगा,’’ उस दोपहर डॉ. बृजलाल बिस्तर पर ऊँघने जा रहे थे जब उनकी पत्नी, कमला, न आन घोषणा की, ’’उसके हाथ में आज सुबह मैंने अपनी अलमारी की चाभी देखी....’’ उसने पति को बताया नहीं, उसने पुत्तू को अलमारी की तिजोरी में रखी अपनी डायरी के साथ उसे रँगे हाथों पकड़ा था । पति से ज्यादा बात करने में उसे संकोच रहता । ’’चाभी सँभालने की जिम्मेदारी किसकी है?’’ डॉ. बृजलाल ले पत्नी को घेरा । ’’जिम्मेदारी तो मेरी ही है,’’ कमला ने तुरंत अपना दोष स्वीकार कर लिया । हमेशा की तरह । ’’फिर उसके हाथ