लीला - (भाग 24)

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वह इतनी डरी हुई थी कि उसने बरैया जी को भी पकड़ के रखा था। और उन्होंने एक ब्याधि लगा दी थी! उसे पार्टी के ज़िला महिला प्रकोष्ठ का प्रभारी बना दिया था, जबकि पार्टी की गतिविधियाँ ज़िले में लगभग शून्य थीं। ...जहाँ ठाकुर और ब्राह्मण जनसंख्या में लगभग आधे हों, वहाँ दलित पार्टी भला कैसे फलफूल सकती है! वैसे भी एकसौ दलितों पर एक राजपूत भारी पड़ता है। जो शुरू से ही दबे-कुचले हैं, उनमें कितनी भी हवा भरो, उठ नहीं पाते! बूथ केप्चरिंग की सारी घटनाएँ सवर्ण पार्टियों में ही रेवड़ी सी बँटी हुई हैं। पार्टी कमान ख़ुद