सविता ने अपनी बहू शालिनी के आते ही स्वयं को घर के कामकाज से एकदम दूर कर लिया। शालिनी के जीवन की पतंग की डोरी उन्होंने अपने हाथ में रखी थी। यूँ समझ लो कि शालिनी के जीवन का पूरा नियंत्रण सविता ने अपने हाथों में ले रखा था। पूरे परिवार पर उन्हीं का शासन चलता था। शालिनी का पति चिराग भी अपनी माँ के समक्ष एक शब्द भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शालिनी शिकायत कर कहती, "चिराग माँ तो मुझे मेरे मन मुताबिक जीने ही नहीं देतीं, मैं क्या पहन रही हूँ, क्या कर