लीला - (भाग 17)

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लीला चमार...उनके तो हज़ार टुकड़ा होंगे किसी दिन! याद करो, बेताल की बहू के कैसे कुचला भए-ते! और यह अजान भी जानता था कि रज्जू की नज़र लीला पर है! वो उसे काँटा समझता है। अगर किसी तरह हटा दे, तो राजीबाजी न सही, जबरन ही सही...उसे तो वह हथिया ही लेगा! ...उसे अपने प्राणों का संकट दिख रहा था। उसके पास हथियार भी न था। दो-चार बार मुँहबाद भी हो चुका है, क्योंकि बिजली की लाइन उसी साइड थी। धर्मशाला की छत से लगा है खंभा। ऐसी भीषण गरमी में गुण्डे आएदिन तार हटा देते हैं...। उपद्रव इतने बढ़ते