अजय एक विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत था। उसकी पत्नी वैशाली घर पर ही सिलाई-बुनाई करके घर के ख़र्च में हाथ बटाती थी। कम आमदनी होने के बाद भी उन्होंने कभी परिवार नियोजन का ध्यान नहीं रखा। हर साल डेढ़ साल में वैशाली गर्भवती हो जाती। इसका परिणाम यह हुआ कि घर में चार-चार बेटियों का आगमन हो गया। काट कसर कर घर चलाना पड़ता था। फिर भी जैसे-तैसे गुज़ारा हो ही जाता था। सबसे बड़ी बेटी थी रश्मि, बाक़ी तीन में भी उम्र का ज़्यादा अंतर नहीं था। धीरे-धीरे चारों बेटियाँ एक साथ बड़ी हो रही थीं।