यात्रा के अंतिम छोर पर जब वे अपने सामान लादे होटल ‘‘मानसरोवर’’ पहुँचे तो अपना डीलक्स रूम देखकर सचमुच दंग रह गए, जो ख़्वाब से भी बढ़कर था! ‘‘येऽहै, ज़िंदगी-तो!’’ लीला बेड पर पसर कर अंगड़ाइयाँ लेने लगी। अजान प्रशंसा में बावला-सा फ्रेश होने चला गया। लौटा तो पाया, वह कलर टीवी का आनंद उठा रही है...! ‘‘गर्मियाँ होतीं, ए.सी. चलता तो और मज़ा आता...!’’ अजान ने दुर्भाग्य जताया। पर उसने कोई ध्यान न दिया, उठकर फ्रेश होने चली गई। तब उसका ध्यान ख़ुद पर चला गया। वह उघारे बदन आईने में बड़ा अद्भुत दिख रहा था। मनोज से भी