टेढी पगडंडियाँ 47 माँ मुझे कहानी सुनाओ न । वही सिंड्रैला वाली । बहुत दिन से सुनाई नहीं तुमने । आज तो सुन कर ही सोऊँगा – गुरजप ने मचलते हुए कहा । ठीक है । आँखें बंद कर , सुनाती हूँ । सुन । एक थी सिंड्रैला ... । एक दिन उसका भाई उसे मेला दिखाने ले गया । ये क्या कह रही हो । सिंड्रैला के भाई तो था ही नहीं । माँ बाप भी नहीं थे । एक सौतेली माँ थी और दो बहनें वे भी सौतेली । तुमने उस दिन तो ऐसे सुनाया था । हाँ