अय्याश--भाग(२२)

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मोक्षदा की बात सुनकर सत्यकाम के आँसू आखिर छलछला ही पड़े और वो बोला.... ये सज़ा ही तो है मेरी प्यारी मोक्षदा! जो मैं ना जाने कब से भुगत रहा हूँ? मैं जिसे चाहता हूँ उसे अपना बना ही नहीं सकता,उसे अपने कलेजे से लगा कर ठंडक नहीं पहुँचा सकता,उसके हाथों में अपना हाथ लेकर ये नहीं कह सकता की तुम मेरे जीवन में एक किरण की भाँति आई और देखते ही देखते मेरा जीवन उजाले से भर गया,तुम्हारे प्रतिबिम्ब को मैं निःसंकोच अपने लोचनों में स्थान नहीं दे सकता,तुमसे खुलकर ये नहीं कह सकता कि तुम ही मेरी प्राणप्यारी