उधर छत पर खड़ी मोक्षदा वहीं घुटने के बल बैठ गई और फूटफूटकर रोने लगी,वो मन में सोच रही थी कि क्या करें? क्या ना करें,क्योंकि एक तरफ उसका भाई था और दूसरी तरफ उसका प्यार,वो भाई जिसने केवल उसकी खातिर आज तक ब्याह नहीं रचाया और दूसरी तरफ उसका प्रेमी जिससे वो ब्याह रचाना चाहती है।। जिन्दगी ने उसे किस दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया था,वो यही सोच रही थी,काश के आज उसकी माँ जिन्दा होती तो वो उसके कलेजे से लगकर जीभर के रो लेती,उससे अपना दुःख बाँटकर मन हल्का कर लेती,लेकिन आज वो कितनी मजबूर है,क्या