झुमकी काकी अपनी कोठरी से थाली लेकर आई तो मोक्षदा ने थाली में खाना परोस दिया और स्वयं की थाली लगाकर खाने बैठ गई,झुमकी काकी भी रसोई से बाहर खाना खाने बैठ गई,खाते खाते झुमकी काकी बोली.... बिटिया ! एक बात बोलूँ।। हाँ!काकी कहो ना! मोक्षदा बोली।। मुझे तो लड़का नेक दिखें है,तुम्हारी क्या राय है? काकी ने पूछा।। स्वाभाव का तो सरल ही दिखता है,अब मन का कैसा हो कुछ कहा नहीं जा सकता ,मोक्षदा बोली।। अब छोटे मालिक ने अपना मुनीम बनाया है तो कुछ सोचकर ही बनाया होगा,झुमकी काकी बोली।। भइया की बातें ,भइया ही जानें मैं