रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 3

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फ़िर मेरा जन्म हुआ। मेरे पैदा होने से पहले ही मेरे पिता मेरी मां को छोड़ कर जा चुके थे। कत्ल की आरोपी "खूनी" मां के साथ भला कौन रहता। सिवा मेरे, क्योंकि मैं तो उसके पेट में ही थी। मेरी मां बताती थी कि एक बड़ा रहमदिल अफ़सर उसे मिला जिसने सब लिखा - पढ़ी करवा कर मेरे जन्म की व्यवस्था भी करवा दी और मुझे मां के साथ जेल में ही रखे जाने की बात भी सरकार और कानून से मनवा दी। बेटा, अब तक तो मैंने सब सुनी सुनाई कही, पर अब तुझे मेरी आंखों देखी और