जीतेगा अभिमन्यु ही ....( उपन्यास अंश )

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अगले दिन महाराष्ट्र में राजकीय छुट्टी थी। एक पूरा दिन क्या किया जाये ... प्लान तैयार हो गया कि एलेफंटा जाया जाए। ट्रेनर रोपड़े सर और खन्ना सर ने ही सजेस्ट किया वे सब लोगों के अनुरोध पर खुद भी साथ चलने को राज़ी हो गए। तक़रीबन एक घंटे की समुद्री यात्रा धीरे–धीरे उबाऊ होने लगी थी। लल्लन सोचने लगा कोलंबस, वास्कोडिगमा और मैगलन जैसे दिलेर जहाज़ी किस कूबत और सब्र से महीनों-महीनों अछोर महासागरों में कुतुबनुमा यानी कम्पास के बताए मार्ग पर यात्रा करते होंगे। समुद्र का खारा पानी, बदमिजाज मौसम, शरारती लहरें, समुद्री डाकू का खतरा; इन सबसे