नजर लागी राजा तोरे बंगले पर यशवन्त कोठारी हे राजा, तेरे बंगले पर कईयों की नजर लग गई है। वे केवल मौके तलाश में है। मौका मिला और वे काबिज हुए। शायद कभी बिल्ली के भाग से छीका टूटे लेकिन एक दूसरी कहावत भी इस अवसर पर याद आ रही है न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेंगी। या फिर नाच न जाने आंगन टेढ़ा। कुछ समय पूर्व एक चैनल पर एक बाईट दिखाई गई थी जिसमें कई भूतपूर्व प्रधानमंत्री एक लाइन में बैठे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री शपथ ले रहे थे। एक अखबार ने गप-शप कॉलम में