स्नान करने के बाद जब सत्या और अमरेन्द्र भोजन करने बैठें तो अमरेन्द्र के घर की बूढ़ी नौकरानी झुमकी भोजन से परोसी हुई पीतल की थालियाँ लेकर उपस्थित हुई,झुमकी को देखकर अमरेन्द्र बोला.... अरे! झुमकी काकी ! तुम खाना परोस रही हो,मोक्षदा कहाँ हैं? जी! छोटे मालिक वो मोक्षदा बिटिया तो रसोई में हैं,कहतीं थीं कि तुम ही भोजन दे आओ,झुमकी बोली।। वो क्यों नहीं आती भला भोजन परोसने ? अमरेन्द्र ने पूछा।। बिटिया कहती थी कि उन्होंने मेहमान से अच्छा व्यवहार नहीं किया,झुमकी बोली।। पगली कहीं की!झुमकी काकी!उससे कहो कि मेहमान ने उसकी बातों का बुरा नहीं माना,अमरेन्द्र बोला।।