अय्याश--भाग(१३)

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वैजयन्ती ने जब ये सुना कि उसका बेटा तवायफ़ो के पास जाने लगा है तो उसे स्वयं से बहुत शर्मिन्दगी हुई,उसे अपनी परवरिश पर अब संदेह हो रहा था,वो मन ही मन सोच रही थी कि क्या उसने यही दिन देखने के लिए उसे पालपोसकर बड़ा किया था।। वैजयन्ती जो भी अपने बेटे के बारें में सोच रही थी उसमें उसका भी कोई कुसूर ना था,उसे तो जिसने जो बताया उसके बेटे के बारें में तो उसने समझ लिया,वो अपने बेटे की सच्चाई से बिल्कुल ही बेख़बर थी,वैजयन्ती को ये अन्दाजा ही कहाँ था कि उसका बेटा जो कार्य कर